कर्नाटक में अलग झंडे की मांग के पीछे कौन?
कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और ये मुद्दा जोर पकड़ रहा है इसलिए मुख्यमंत्री ने कमिटी बना दी है। जब सिद्धरमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा, चुनाव में अभी वक्त है। अगर भाजपा अलग झंडे के खिलाफ है तो खुलकर कहे अलग झंडा नहीं चाहिए।
कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और ये मुद्दा जोर पकड़ रहा है इसलिए मुख्यमंत्री ने कमिटी बना दी है। जब सिद्धरमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा, चुनाव में अभी वक्त है। अगर भाजपा अलग झंडे के खिलाफ है तो खुलकर कहे अलग झंडा नहीं चाहिए।
कर्नाटक की सिद्धरमैया सरकार का विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है। अब कर्नाटक सरकार ने जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर अपने राज्य के लिए अलग झंडे की मांग कर दी है। दरअसल सरकार ने 9 सदस्यों की एक समिति बनाई है जो राज्य के लिए अलग झंडे का डिजाइन फाइनल करेगी और इसे कानूनी मान्यता दिलाने की कोशिश करेगी। पूरे देश में सिर्फ जम्मू कश्मीर राज्य के पास अलग झंडा है, संविधान के तहत सिर्फ जम्मू कश्मीर को ही ये विशेष दर्जा मिला है।
सिद्धरमैया सरकार ने ऐसा क्यों किया?
कर्नाटक की अलग सांस्कृतिक पहचान के नाम पर राज्य के कई कन्नड़ संगठन नए झंडा की मांग कर रहे थे। जब भाजपा के येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री थे उस वक्त उनके सामने भी ऐसी मांग रखी गी थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने इसे देश की एकता और अखंडता के खिलाफ बताकर खारिज़ कर दिया था। उस वक्त के संस्कृति मंत्री गोविंद एम करजोल ने कहा था, ‘फ्लैग कोड हमें राज्य के लिए अलग झंडे की इजाजत नहीं देता है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता का प्रतीक है। यदि राज्य का अलग झंडा होगा तो यह हमारे राष्ट्रीय ध्वज का महत्व भी कम करेगा’। कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और ये मुद्दा जोर पकड़ रहा है इसलिए मुख्यमंत्री ने कमिटी बना दी है। जब सिद्धरमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा, चुनाव में अभी वक्त है। अगर भाजपा अलग झंडे के खिलाफ है तो खुलकर कहे अलग झंडा नहीं चाहिए।
अचानक झंडे की मांग क्यों?
महाराष्ट्र की सीमा से सटे कर्नाटक के बेलगावी जिले की एक घटना झंडा विवाद का ट्रिगर है। बेलगावी नगर निगम में मराठी अस्मिता की बात करने वाले संगठन का बहुमत है, लेकिन यहां पीले और लाल रंग का झंडा फहराया गया जिसे कन्नड ध्वज की तरह पेश किया जाता है। हाई कोर्ट में भी सरकारी वकील ने कहा कि इस झंडे को सरकारी मान्यता पाप्त नहीं है लेकिन आम तौर पर ये लाल और पीले रंग का झंडा कर्नाटक के लोगों की पहचान है। इस पर कोर्ट ने सरकार का पक्ष पूछा, इसके बाद सरकार ने एक कमेटी बनाई जो बहुत जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
इस कमिटी की अध्यक्षता कन्नडा विकास और संस्कृति विभाग के सचिव कर रहे हैं, कानून विभाग, कन्नडा डेवेलपमेंट अथॉरिटी, कर्नाटक हम्पी विश्विद्यालय, गृह विभाग के सरकारी अफसर शामिल हैं।