नंदन नीलेकणी की 10 साल बाद घर वापसी ,इंफोसिस के चेयरमैन नियुक्त
नंदन नीलकेणी ने चेयरमैन नियुक्त होने के बाद कहा -" इंफोसिस में अपनी वापसी से खुश हूं और बोर्ड सद्स्यों और अपने सहयोगियों के साथ के साथ मिलकर काम करुंगा। कंपनी के शेयरधारक और कर्मचारियों को कारोबार का नया मौका दूंगा।"
नंदन नीलकेणी ने चेयरमैन नियुक्त होने के बाद कहा -" इंफोसिस में अपनी वापसी से खुश हूं और बोर्ड सद्स्यों और अपने सहयोगियों के साथ के साथ मिलकर काम करुंगा। कंपनी के शेयरधारक और कर्मचारियों को कारोबार का नया मौका दूंगा।"
इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी की घर वापसी हो गई है। सीईओ विशाल सिक्का के इस्तीफे के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी को स्थायित्व देने के लिए नीलकेणी को कमान दी गई है । गुरुवार को उन्हें इनफ़ोसिस कंपनी का नया नॉन एग्जिक्युटिव चेयरमैन नियुक्त किया गया। बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन आर. शेषसायी और को-चेयरमैन रवि वेंकटेशन ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। नीलकेणी को नारायण मूर्ति का करीबी माना जाता है ।
इंफोसिस के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल ने लिखा – “निदेशक मंडल ने सर्वसम्मति से श्री नंदन नीलेकणी की गैर कार्यकारी सभापति के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दी है । “
Board of Directors has unanimously approved the appointment of Mr. Nandan Nilekani as the Non Executive Chairman https://t.co/1HMaCJcryO
— Infosys (@Infosys) August 24, 2017
नंदन नीलकेणी ने चेयरमैन नियुक्त होने के बाद कहा –” इंफोसिस में अपनी वापसी से खुश हूं और बोर्ड सद्स्यों और अपने सहयोगियों के साथ के साथ मिलकर काम करुंगा। कंपनी के शेयरधारक और कर्मचारियों को कारोबार का नया मौका दूंगा।”
कौन हैं नीलेकणी
नीलेकणी का जन्म 2 जून 1955 को कर्नाटक के बेंगलुरु में हुआ था । उनकी मां का नाम दुर्गा और पिता का नाम मनोहर नीलेकणि था। नीलेकणी ने आईआईटी मुंबई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है । नीलकेणी उन सात चर्चित संस्थापकों में से एक हैं जिन्होंने 80 के शुरुआती दशक में आईटी कंपनी इंफोसिस की स्थापना की थी । नंदन नीलकेणी साल 2002 से 2007 तक इंफोसिस के सीईओ रह चुके हैं । नीलकेणी के कार्यकाल में इंफोसिस की रेवेन्यू ग्रोथ 42 फीसदी और मार्जिन में 28 फीसदी की सालाना ग्रोथ देखने को मिली थी । साल 2009 में वो भारत सरकार के महत्वकांक्षी यूआईडीएआई के चेयरमैन बने थे । नीलेकणी परिवार के पास कंपनी के कुल 2.29 फीसदी शेयर हैं। मार्च 2014 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण बैंगलोर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा पर उन्हें बी.जे.पी. के नेता अनंत कुमार से हार का सामना करना पड़ा।