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राहुल गांधी चीनी राजदूत से मिले, लेकिन चुपके-चुपके क्यों?

दरअसल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पहले राहुल गांधी और चीनी राजदूत के मुलाकात को छिपाने की कोशिश की थी। लेकिन तस्वीरें सामने आ गई और कांग्रेस को भी कबूल करना पड़ा।

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दरअसल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पहले राहुल गांधी और चीनी राजदूत के मुलाकात को छिपाने की कोशिश की थी। लेकिन तस्वीरें सामने आ गई और कांग्रेस को भी कबूल करना पड़ा।

राहुल गांधी और चीन के राजदूत की मुलाकात पर कांग्रेस पहले ना और फिर हां में फंसती दिखी। आखिरकार राहुल गांधी ने माना, वो चीनी राजदूत से मिले थे। राहुल ने ट्विटर पर लिखा- ” खास मुद्दों पर जानकारी लेना मेरा काम है. मैं चीनी राजदूत से मिला. पूर्व राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, पूर्वोत्तर के कांग्रेसी नेताओं और भूटान के राजदूत से भी मुलाकात की”.

https://twitter.com/OfficeOfRG/status/884389276007358465

इसके बाद राहुल ने लिखा – “अगर सरकार चीनी राजदूत के साथ मेरी मुलाकात को लेकर इतनी परेशान है, तो उन्‍हें इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि 3 मंत्री चीन यात्रा पर क्यों हैं”

https://twitter.com/OfficeOfRG/status/884389654534922240

इसके बाद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को चुभने वाली बात लिखी। उन्होंने ट्विट किया-  “मैं वो शख्‍स नहीं हूं जो झूले पर बैठा रहा जब हजार की संख्‍या में चीनी सैनिक भारत में घुस आए थे” ।

https://twitter.com/OfficeOfRG/status/884389789566246912

दरअसल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पहले राहुल गांधी और चीनी राजदूत के मुलाकात को छिपाने की कोशिश की थी। लेकिन तस्वीरें सामने आ गई और कांग्रेस को भी कबूल करना पड़ा। सोमवार सुबह 8:30 बजे तक चीनी दूतावास की वेबसाइट पर राहुल गांधी और चीनी राजदूत के बीच शनिवार, 8 जुलाई को हुई मुलाकात का ज़िक्र था, और जानकारी में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि दोनों ने मौजूदा भारत-चीन संबंधों पर चर्चा की। बाद में चीनी दूतावास ने ये पोस्ट वेबसाइट से डिलीट कर दिया।
चीनी राजदूत से मिलना कोई खबर नहीं है, लेकिन टाइमिंग गड़बड़ है। सिक्किम की सीमा के पास चीन दादागीरी दिखा रहा है।  चीन का दावा है कि भारतीय सैनिकों ने डोंगलांग इलाके में जून की शुरुआत में प्रवेश किया, और वहां सड़क बना रहे चीनी फौजियों को रोक दिया ।
चीन का कहना है कि वह ज़मीन ब्रिटेन से वर्ष 1890 में हुए करार के तहत चीन की ही है ।
लेकिन भारत और भूटान का दावा है कि वह ज़मीन (डोकलाम) भूटान की है, जिसने उस करार पर दस्तखत नहीं किए थे, और जो राजनयिक तथा सैन्य समर्थन के लिए भारत पर निर्भर है ।
पिछले सप्ताह, बेहद असामान्य रूप से रूखी टिप्पणी में चीनी राजदूत लुओ झाओहुई ने एक इंटरव्यू में कहा था कि “समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है,” और किसी भी वार्ता को शुरू करने के लिए भारत को अपने सैनिक वापस बुलाने ही होंगे. पिछले सप्ताह जर्मनी में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात हुई। अब चीन कह रहा है कि जी20 में भारत और चीन के बीच किसी भी स्तर पर द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई।

 

 

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