वीडियो :इस वजह से राज्यसभा में सचिन नहीं दे पाए अपना डेब्यू भाषण
क्रिकेट के मैदान पर अच्छे अच्छे गेंदबाजों को खामोश करने वाले सचिन तेंदुलकर को राज्यसभा में साथी सांसदों ने खामोश कर दिया । सचिन अपने छह साल के कार्यकाल के पांचवे साल में पहली बार आज संसद में बहस में हिस्सा लेने की कोशिश की लेकिन कांग्रेस सदस्यों के जबरदस्त हंगामे के कारण वह भाषणों का खाता नहीं खोल पाये। दरअसल विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर माफी मांगने की डिमांड कर रहे थे, जो उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पाकिस्तान के साथ मिले होने के बारे में दिया था ।
सचिन अपनी पत्नी अंजलि के साथ राज्यसभा पहुंचे थे। सचिन राज्यसभा में अपने पहले भाषण में ‘राइट टू प्ले’ यानी ‘खेलने का हक’ पर बोलने वाले थे। सचिन अपने भाषण के दौरान देश में खेल और खिलाड़ियों को लेकर व्यवस्था, ओलंपिक की तैयारियों और किस तरह भारतीय खिलाड़ी दुनियाभर में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है इस पर अपने विचार रखने वाले थे।
सचिन अपने भाषण की शुरुआत करने ही वाले थे कि विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के हंगामे के बीच उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लगातार विपक्ष से अपील कि,” सचिन को बोलने दें क्योंकि यह उनका पहला भाषणा होगा । जो व्यक्ति बोल रहा है वह भारत रत्न है, इसे पूरा देश देख रहा है। प्लीज़ शांत हो जाइए। उन्हें बोलने दीजिए। पूरा ध्यान सचिन जी पर होना चाहिए।“ इस बीच सचिन 10 मिनट तक खड़े हंगामा बंद होने का इंतज़ार करते रहे लेकिन हंगामा नहीं थमा और आखिरकार वेंकैया नायडू ने सदन शुक्रवार तक के लिए स्थगित हो गया ।
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क्या है राइट टू प्ले/खेलने का हक?
राइट टू प्ले के तहत शिक्षा की तरह खेलों को भी स्कूलों में अनिवार्य करने के प्रस्ताव है । इसका मकसद खेलों के जरिए बच्चों को शिक्षित करने की और है। इसके तहत खेल के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर सभी बच्चों को उपलब्ध कराया जाने का प्रस्ताव है ।
सचिन का मानना है कि राइट टू प्ले को संवैधानिक अधिकार के तौर पर देखा जाए, जिसके लिए वह सदन को जरूरी जानकारी देने वाले थे, लेकिन हंगाने के कारण ऐसा नहीं हो सका।