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जहरीली हवा का इलाज़ सरकार समय पर करती तो बच्चे स्कूल जा सकते

देश की राजधानी दिल्ली में लगातार प्रदूषण के बढऩे से आबो-हवा बेहद जहरीली हो गई है।मंगलवार को दिल्ली में हर तरफ प्रदूषण भरे धुंध (स्मॉग) का साया देखा जा रहा है। सुबह जब दिल्लीवालों ने  प्रदूषण के एक घने कोहरे के बीच आंखें खोली तो शाम तक दिल्ली और केंद्र सरकार भी नींद से जगते हुई दिखी।लेकिन सवाल यह उठता है की सरकार की नींद हर साल दिल्ली में मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात बनने के बाद ही क्यों खुलती है ?

दिल्ली में बिगड़ी हुई हालत  को देख कर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर उन्होंने इस हालात से निपटने के लिए क्या तैयारियां की हुई थी।लेकिन शायद सरकार हर साल की तरह इस साल भी ओपचारिकता पूरे करते हुए एनजीटी को गोल मोल जबाब दे देगी।मुख्यमंत्री अरविंद  केजरीवाल जो सीएम बनते ही दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने के वादे  कर रहे  थे  वे 32 महीने  बतौर सीएम के बाद ट्वीट कर  गैस चैंबर बनी दिल्लीवालो को  कहते है कि हम सब को प्रदूषण के समस्या का समाधान ढूँढना होगा।

जग -जाहिर है की दिल्ली में इस समय हवा प्रदूषित होने के पीछे एक बड़ा कारण  हरियाणा और पंजाब में पराली जलाई जानी  है लेकिन  मुख्यमंत्री  महोदय ट्वीट  कर कहते है की दिल्ली सरकार ने पत्र लिख  कर पड़ोसी राज्यों में फसलों की पराली जलाने पर रोक लगाने को कहा है।अगर दिल्ली सरकार समय रहते ही पड़ोसी राज्यों के सरकार से इस मुद्दे  पर चर्चा  करती तो  ‘गैस चैंबर’ से निकलती  जहरीली हवा दिल्लीवालों को कम पड़ेशान करती।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया प्रेस कांफ्रेंस में घर के बुजूर्ग की तरह बच्चों और अभिभावकों को प्रदूषण से बचने की हिदायत देते दिख रहे थे। बेहतर तो यह होता की उपमुख्यमंत्री जी अपने बॉस को ऐसी सलाह देते जिससे शहर पर धुंध की मोटी परत ना पड़ती।

सूत्रों की माने तो  दिल्ली सरकार फिर से  ऑड-ईवन जैसी स्कीम लाने पर विचार कर रही है। इसके अलावा ऐसी कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज जिनसे पॉल्यूशन होता है और ईंट भट्टों को  भी फ़िलहाल बंद करने के आदेश भी दिए गए हैं। अगले ऑर्डर तक हॉट मिक्सर प्लान्ट और स्टोन क्रशर भी नहीं चलाए जा सकेंगे।लेकिन सरकार के यह सारे कदम ‘आग लगने पर कुआँ खोदना’  मुहावरे के याद दिलाता है।

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