राष्ट्रपति ने दो दया याचिका खारिज़ की, 5 साल में 30 अपराधी को दया नहीं मिली
नियम के मुताबिक गृह मंत्रालय हर दया याचिका पर राष्ट्रपति को सिफारिश भेजता है और राष्ट्रपति उस सिफारिश के हिसाब से ही फैसला करते हैं।
नियम के मुताबिक गृह मंत्रालय हर दया याचिका पर राष्ट्रपति को सिफारिश भेजता है और राष्ट्रपति उस सिफारिश के हिसाब से ही फैसला करते हैं।
राष्ट्रपति भवन छोड़ने से पहले प्रेसीडेंट प्रणब मुखर्जी ने दो और अपराधियों को फांसी पर लटकाने का फैसला सुना दिया। राष्ट्रपति मुखर्जी ने बलात्कार और हत्या के केस में सजा पाने वाले दो मुजरिमों की दया याचिका खारिज़ कर दी। एक अपराधी इंदौर का है, जिसने 2012 में तीन लोगों के साथ मिलकर पहले चार साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया और फिर उस मासूम की हत्या कर दी। दूसरा केस पुणे का है, एक टैक्सी ड्राइवर और उसके दोस्तों ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ रेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी। इन दो मामलों को जोड़ दें तो पिछले 5 साल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 30 अपराधियों की दया याचिका खारिज़ कर दी है। नियम के मुताबिक गृह मंत्रालय हर दया याचिका पर राष्ट्रपति को सिफारिश भेजता है और राष्ट्रपति उस सिफारिश के हिसाब से ही फैसला करते हैं। लेकिन राष्ट्रपति जब तक चाहें वो उस दया याचिका को अपने पास रोक सकते हैं। उन्हें फैसला करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, उनके लिए कोई समय सीमा नहीं है। इसलिए गृह मंत्रालय के फैसले के बाद भी राष्ट्रपति चाहें तो दया याचिका पर फैसला नहीं हो पाता।
जब एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे तो उन्होंने सिर्फ 2 दया याचिका पर फैसला सुनाया था। । लेकिन केआर नारायणन ने पांच साल के कार्यकाल में एक भी दया याचिका पर फैसला नहीं दिया। इसी तरह पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी पांच साल में किसी भी दया याचिका पर फैसला नहीं सुनाया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अब तक 30 दया याचिका पर फैसला किया है, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने 44 दया याचिकाएं खारिज़ की थी।