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क्या लालू यादव मंत्री और सांसद बनाने के बदले मकान और ज़मीन हड़पते थे?

क्या लालू यादव ने अपनी पार्टी के नेता को मंत्री बनाने के एवज में कीमत वसूली? जिसे टिकट दिया या मंत्री बनाया उसे अपनी प्रॉपर्टी लालू या उनके परिवार के नाम करनी पड़ी थी। सुशील मोदी की मानें तो किस्सा कुछ ऐसा ही है।

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क्या लालू यादव ने अपनी पार्टी के नेता को मंत्री बनाने के एवज में कीमत वसूली? जिसे टिकट दिया या मंत्री बनाया उसे अपनी प्रॉपर्टी लालू या उनके परिवार के नाम करनी पड़ी थी। सुशील मोदी की मानें तो किस्सा कुछ ऐसा ही है।

लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी लगातार सबूत पेश कर रहे हैं और लालू और उनके बेटे खामोश हैं । लालू की प्रेस कांफ्रेंस में भी पत्रकारों को उनकी संपत्ति के बारे में सवाल पूछने की मनाही है और अगर किसी पत्रकार ने पूछ लिया तो भी लालू शायद ही सीधा जवाब देंगे। बिहार में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या लालू यादव ने अपनी पार्टी के टिकट बेचने का नया तरीका निकाला था। क्या लालू यादव ने अपनी पार्टी के नेता को मंत्री बनाने के एवज में कीमत वसूली? जिसे टिकट दिया या मंत्री बनाया उसे अपनी प्रॉपर्टी लालू या उनके परिवार के नाम करनी पड़ी थी। सुशील मोदी की मानें तो किस्सा कुछ ऐसा ही है।
सुशील मोदी ने लालू यादव पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह की संपत्ति अपने परिवार के नाम करने आरोप लगाया। ये नया किस्सा भी बेहद दिलचस्प है। लालू यादव मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री थे और कांति सिंह राज्यमंत्री।  सुशील मोदी का आरोप है कि 13 मार्च, 2006 को कांति सिंह और उनके परिवार ने लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के नाम पर 95 डिसमिल जमीन कर दी। इस जमीन के टुकड़े में तीन कमरे, बाथरूम और बोरिंग मशीन भी थी। दानापुर में इस ज़मीन की कीमत लाखों में बताई जाती है, लेकिन सिर्फ 1250 रुपए प्रति महीने के किराए पर ये ज़मीन अगले 99 साल के लीज पर राबड़ी देवी के नाम कर दिया गया। सिर्फ इतना ही नहीं हुआ, इस ज़मीन पर जो बिजली खर्च होगी, जो पानी बिल आएगा वो सब कांति सिंह अदा करेंगी लेकिन मालकिन राबड़ी देवी होंगी। सुशील मोदी का दावा है क़ि रघुनाथ झा को भी टिकट देने और मंत्री बनाने के लिए गोपालगंज की अपनी ज़मीन और घर लालू के बेटों को दान में देना पड़ा।
1999 से 2004 तक रघुनाथ झा गोपालगंज से जेडीयू से सांसद थे। उनकी सीट सुरक्षित हो गई तो वो साल 2004 में बेतिया से लड़ना चाहते थे। जेडीयू ने टिकट नहीं दिया तो रघुनाथ झा में आरजेडी में आ गए और चुनाव भी जीत गए। सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि चुनाव जीतने के एक साल रघुनाथ झा ने  2015 में अपना घर लालू के बेटे को दान कर दिया। दान के कागज पर लिखा की तेजप्रताप और तेजस्वी दोनों मेरे बच्चों के बराबर हैं। मकान दान करने के 7 महीने बाद ही लालू के कहने पर रघुनाथ झा को केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बना दिया गया । अगर ये सारे सबूत सही हैं, तो इतनी बातें इत्तेफाक नहीं हो सकती। इसके पीछे कुछ और ही है जिस नीतीश कुमार भी समझ रहे होंगे। लगता है खुद चारा घोटाले में सजा पा चुके लालू यादव ने चालाकी तो की लेकिन देर से ही सही पकड़े गए हैं। अब तक उनके बेटे बेदाग थे, लेकिन इस बार लालू ने ऐसा कुछ किया है जिससे उनके बेटे भी फंस सकते हैं।
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