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राहुल जी आपकी आँखों की गुस्ताखियाँ माफ हो!

Breaking News आज की रिपोर्ट पाठकों की तरफ से समाचार 

आदरणीय राहुल जी ,

नमस्कार

 

जब से मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी और आपकी पार्टी सहित सम्पूर्ण विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंजूरी दी। तब से सरकार के पक्ष में संख्या बल को देखते हुए नतीजा स्पष्ट था। जनता से लेकर मीडिया में सवाल यह नहीं था की सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करेगी बल्कि चर्चा यह थी की क्या यह अविश्वास प्रस्ताव आपको एक बार फिर से रिलौंच करने की कोशिश है? 2019 के आम चुनाव में आपका अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में दिया भाषण कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी का काम कर सकती थी । पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से एक दूसरे को देख लेने की बात कही जा रही थी । विपक्ष संसद में भुकंप आने की चेतावनी दे रहा तो सत्ता पक्ष भुकंप लाने की चुनौती। इस में कोई संशय नहीं था कि दोनों पक्ष पूरे होमवर्क के साथ संसद में कदम रखेंगी।

 

शुक्रवार की सुबह से मीडिया में खबर चल रही थी की राहुल गाँधी 11:30 से आसपास अपनी बात रखेंगे। मैं भी औरों की तरह संसद की कारवाई शुरू होते ही आपकी बारी आने का इंतज़ार कर रहा था । एक के बाद एक सांसद का नंबर आ रहा था लेकिन आपका नंबर नहीं आ रहा था ।

मुझे तो कभी-कभी संसद के गलियारों में की गई आपकी बड़ाई के पीछे भाजपा की साजिश की बू आती है!

कैमरे ने जब-जब आपके तरफ रुख किया तो मुझे आपके चेहरे पर बेहद सहज भाव दिख रहा था। इस भाव को देख मुझे संसद में भुकंप की नहीं बल्कि सुनामी आने की आहट सुनाई दे रही थी। जिस अंदाज में आपने भाषण की शुरुआत की उस से मेरी उम्मीदो को और भी बल मिला। आपने बिना  किसी  सबूत के राफेल डील सौदे पर सरकार को घेरा । लेकिन भारतीय राजनीती में हर दुसरे दिन पक्ष और विपक्ष बिना किसी साक्ष्य के एक दूसरे पर आरोप लगाया करते है। फ्रांस सरकार के द्वारा आपके दावों के खंडन  से आपकी जगहंसाई का मुझे अफ़सोस है । जैसे उम्मीद थी आपके इस आरोप के बाद संसद परिचर्चा की बजाय टकराव के अखाड़े में बदल चुकी थी और  लोकसभा की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।

क्रिकेट के मैच में बारिश के बाद बैट्समैन जब दुबारा बल्लेबाज़ी करने आए तो उसे शुरुआत में संभल कर खेलना चाहिए। लेकिन आपने ब्रेक के बाद भाषण की शुरुआत आखिरी गियर से की। जब आपने अपनी पीठ थपथपाते हुए बीजेपी के सहयोगी दलों के सांसदों से मिली बधाई की बात का जिक्र किया तो मुझे “अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना” के मुहावरे का लाइव साक्ष्य मिल गया। आपके चेहरे पर अब शांति का भाव नहीं बल्कि अति आत्मविश्वास का भाव दिख रहा था । मुझे तो कभी-कभी संसद के गलियारों में की गई आपकी बड़ाई के पीछे भाजपा की साजिश की बू आती है!

आप एक अच्छे और दिलेर इंसान है नहीं तो खुद को लाइव टीवी पर ‘पप्पू’ कह कर बिल्कुल सम्बोधित नहीं करते।

आपके आगे के भाषण ने मुझे इतना सम्मोहित कर दिया की मुझे अंदाज़ा ही नहीं लगा की मेरी हंसी की आवाज़ पूरी ऑफिस में गूंज रही थी। अपने भाषण के अंत अंत में जब आपने सांसदों को मनोरंजन का भरोसा दिलाया तो मेरा मन आशंकित होने लगा। आपने मेरी आशंका को सही साबित करते हुए सांसदों के मनोरंजन के लिए खुद को ‘पप्पू’ तक कह डाला। आप एक अच्छे और दिलेर इंसान है नहीं तो खुद को लाइव टीवी पर ‘पप्पू’ कह कर बिल्कुल सम्बोधित नहीं करते।

इसके बाद वह हुआ जो संसद के इतिहास में कभी नहीं हुआ था । संसद में पहली बार मुख्य विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष बीच बहस के दौरान प्रधानमंत्री से गले लगने आए। पीएम मोदी जो कैमरे के सामने अपने सहजता के लिए जाने जाते उन्हें भी आपने असहज कर दिया। यह “मोदी -राहुल मिलाप “ का दृश्य “राम -भरत मिलाप” के बिल्कूल विपरीत था। इस गले मिलाप ने “ज़बरदस्ती गले लगना” मुहावरे का मतलब मुझे समझने में मदद की ।

 

आपके भाषण खत्म होते ही आपके समर्थक सांसदों के चेहरे पर सुकून और विरोधी खेमे के चेहरे पर उदासी दिख रही थी । जब मीडिया हाउस में आपके प्रवक्ता अपनी पूरी कोशिश के साथ आपका बचाव कर रहे थे तभी आपके ‘विंकिंग’ ने उनके हौसले को निस्तेज कर दिया। आपने भाषण  और गले लग के जो थोडा मोड़ा कमाया, उसे आँख मार के गँवा दिया । आपके एक समर्थक ने आपकी नटखटी आँखों की गुस्ताखियाँ के पीछे मुझे दलील देते हुए कहा कि,” राहुल जी युवा है,युवाओं से ऐसी गलतियाँ हो जाती है !” राहुल जी मेरी आप को सलाह है कि पहले 48 साल की उम्र में आपको युवा नेता बोलने वाले अपने इन समर्थकों को खुद से दूर कीजिए। यह अविश्वास प्रस्ताव देश के इतिहास का पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा जिसे पक्ष-विपक्ष के बीच वार्तालाप के लिए नहीं बल्कि आपके ‘हगिंग’ और ‘विंकिंग’ के लिए याद किया जाएगा। आप युवा है और आज का युवा अपना ज्यादा समय सोशल मीडिया पर ही बिताता है । आपने सोशल मीडिया पर अपने ‘हगिंग’ और ‘विंकिंग’ पर मेम तो जरूर ही देखे होंगे। इसलिए मैं उस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता और आगे से ऐसी हरक़त करने की जवाबदेही आपके विवेक पर छोड़ता हूँ ।

राहुल जी आपने हमारा अच्छा मनोरंजन किया इसके लिए आपका दिल से शुक्रिया । लेकिन हम भारतवासियों को उस दिन ज्यादा ख़ुशी मिलेगी जिस दिन आप सत्ता पक्ष को घेरने के लिए नए या ‘आउट ऑफ बॉक्स’ मुद्दे लेकर आएंगे और चर्चा आपके हरकतों की नहीं आपके उठाए मुद्दों की होगी । उम्मीद करता हूँ एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब लोग कहेंगे ‘पप्पू बन गया जेंटलमैन “

हर हर महादेव !!

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