पूर्वोत्तर के 3 राज्यों में चुनावी तारीखों का ऐलान,ऐसा है मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा के सियासी समीकरण
असम और बाद में मणिपुर की सत्ता हासिल करने के बाद बीजेपी की निगाह अब त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनावों पर है।
असम और बाद में मणिपुर की सत्ता हासिल करने के बाद बीजेपी की निगाह अब त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनावों पर है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ए के ज्योति ने कहा कि त्रिपुरा, मेघायल और नगालैंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान कर दिया है । इसी के साथ तीन राज्यों में आज से आचार संहिता लागू हो गई है । तीनों राज्यों में ईवीएम के साथ-साथ वीवीपैट से मतदान कराए जाएंगे । इन तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे। पहले चरण में 18 फरवरी को त्रिपुरा में वोटिंग होगी। दूसरे चरण में 27 फरवरी को मेघालय और नागालैंड में वोट पड़ेंगे। इन तीनों राज्य के विधानसभा चुनावों के नतीजे 3 मार्च को आएंगे । तीनों राज्यों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपीएटी (वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) से वोट डाले जाएंगे। उम्मीदवारों के लिए चुनाव में खर्च की सीमा 20 लाख रुपये रखी गई है। मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमश: छह मार्च, 13 मार्च और 14 मार्च को समाप्त हो रहा है। तीनों विधानसभाओं में 60-60 सदस्य हैं।
असम और बाद में मणिपुर की सत्ता हासिल करने के बाद बीजेपी की निगाह अब त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनावों पर है। हालांकि बीजेपी के लिए यहां सत्ता पर काबिज होना इतना आसान नहीं है, इसलिए बीजेपी के शीर्ष नेता लगातार उत्तर-पूर्वी राज्यों के दौरे पर रहे हैं। बीजेपी की कोशिश नागालैंड में सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के साथ मेघालय और त्रिपुरा में भी कमल खिलाने की है। लेफ्ट की सरकार देश में त्रिपुरा के अलावा सिर्फ केरल में बची है इसलिए वामपंथी संगठन पूर्वोत्तर में अपना किला बचाने के लिए जोर लगाएंगे । मेघालय में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है इसलिए इस बात में संदेह है कि कांग्रेस मेघालय में अपना शासन को बचा पाएगी।
एक-एक करके जानते है मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा के सियासी समीकरण को :
एक नज़र मेघालय की सियासी तस्वीर पर :
मेघालय में विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं और फिलहाल यहाँ कांग्रेस पार्टी की सरकार है । कांग्रेस की सरकार यहाँ 2009 से है । 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 29 , यूनाईटेड डेमोक्रेटिक पार्टी को 8 , एनपीपी को 2 और निर्दलीयों को 13 सीटों पर पर जीत मिली थी । 2013 में अपना खाता नहीं खोलने वाली भाजपा यहाँ अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी है । इस बार के चुनाव में बीजेपी पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी ए संगमा की पार्टी नैशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी ।
कांग्रेस महकमे में भी बीजेपी और एनपीपी के साथ आने से चिंता साफ़ झलक रही है । पिछले साल दिसम्बर 2017 में कांग्रेस के 5, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के एक और दो निर्दलीय विधायक एनपीपी में शामिल हुए । वहीं इस महीने कांग्रेस के एक विधायक, एक एनसीपी और 2 निर्दलीय विधायक बीजेपी में शामिल हो गए ।
एक नज़र नागालैंड की सियासी तस्वीर पर:
नागालैंड में इस वक्त नागालैंड पीपुल्स फ्रंट(एनपीएफ) पार्टी की सरकार है । एनपीएफ बीजेपी के समर्थन से अपनी सरकार चला रहा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में नागालैंड पीपुल्स फ्रंट को 60 में से 38 सीटों पर , कांग्रेस को 8 सीटों पर, एनसीपी को 4 सीटों पर, बीजेपी को एक सीट और निर्दलीयो को 8 सीटों पर जीत मिली थी । बीजेपी ने नगालैंड के लिए गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू को चुनाव प्रभारी बनाया है। बीजेपी चाहेगी कि इस बार न केवल उसके समर्थन वाली सरकार बचे बल्कि खुद पार्टी की भी सीटें बढ़ें।
एक नज़र त्रिपुरा की सियासी तस्वीर पर :
त्रिपुरा में 1993 से सीपीएम (कम्यूनिस्ट पार्टी) की सरकार है । यह देश में लेफ्ट का सबसे मजबूत गढ़ है और मुख्यमंत्री माणिक सरकार माणिक सरकार यहाँ लगातार 20 साल से सीएम हैं । 2013 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम को 49, कांग्रेस को 10 सीट पर जीत मिली थी । कांग्रेस पार्टी के 6 विधायक बाद में टीएमसी में शामिल हो गए थे । टीएमसी के मुकुल रॉय के बीजेपी में शामिल होने के बाद सभी 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए । 2013 में एक भी सीट नहीं जीतने वाली भाजपा अभी से ही त्रिपुरा में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है । ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि किसी राज्य में बीजेपी और कम्युनिस्ट पार्टी सीधे एक दूसरे को टक्कर देने को तैयार हैं।