भारतीय न्यायपालिका का काला दिन, चीफ जस्टिस पर SC के चार जजों ने ही उठाए सवाल, पढ़ें पूरा खत
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस राजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए ।
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस राजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए ।
आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जज जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए । देश की सबसे बड़ी अदालत के कामकाज को लेकर चारों जजों ने चीफ जस्टिस को लिखे 7 पन्नों के पत्र को सार्वजनिक कर दिया । सुप्रीम कोर्ट में नंबर दो के जज माने जाने वाले जस्टिस चेलामेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“करीब दो महीने पहले हम 4 जजों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और मुलाकात की। हमने उनसे बताया कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सही नहीं है। प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है। यह मामला एक केस के असाइनमेंट को लेकर था।“
उन्होंने कहा कि हालांकि हम चीफ जस्टिस को अपनी बात समझाने में असफल रहे। इसलिए हमने राष्ट्र के समक्ष पूरी बात रखने का फैसला किया।चीफ जस्टिस पर महाभियोग लगाए जाने को लेकर जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि इसका फैसला देश को करने दें । हम नहीं चाहते कि न्यायपालिका की निष्ठा और हम पर कोई सवाल उठे ।
पढ़ें प्रेस की सभी बड़ी बातें :
- हमें ये प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए खुशी नहीं हो रही है। हमने मजबूर होकर मीडिया के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का फैसला लिया। सुप्रीम कोर्ट में प्रबंधन सही नहीं है। पिछले कुछ महीनों में जो चीजें नहीं होनी चाहिए थी, वो भी हुई है ।
- चीफ जस्टिस केसों के बंटवारे में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं ।
- चीफ जस्टिस महत्वपूर्ण मामले जो सुप्रीम कोर्ट की अखंडता को प्रभावित करते हें वो बिना किसी वाजिब कारण के उन बेंचो को देते हैं तो चीफ जस्टिस की प्रेफेरेंस की हैं। इसने संस्थान की छवि खराब की है।
- किसी भी देश के लोकतंत्र के लिए जजों की स्वतंत्रता भी जरूरी है । अगर ऐसा नहीं होता है तो लोकतंत्र नहीं बच पाएगा ।
- हमारे सामने देश के सामने अपनी बात रखने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा था ।
- हम नहीं चाहते कि 20 साल बाद लोग कहें कि हमनें अपनी आत्मा बेच दी और सविंधान के मुताबिक सही फैसले नहीं दिए ।
- सुप्रीम कोर्ट में तय 31 पदों में से फिलहाल 25 जज हैं, यानी जजों के 6 पद खाली हैं । हाईकोर्ट में 1079 जजों के पद स्वीकृत हैं जिनमें से 458 खाली हैं। जजों के पद खाली होने के कारण मुकदमों का बोझ बढ़ता ही जा रहा है।