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आलू-भिंडी के बेमेल गठबंधन ने मुझे ज़िंदगी की बड़ी सीख दी

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई की मुझे थुलथुले आलू के साथ पकने के लिए रख दिया। तुम्हें इल्म नहीं है की खूबसूरत चीजों के साथ कैसे बर्ताव करते है।

आलू-भिंडी का बेमेल गठबंधन Breaking News आज की रिपोर्ट पाठकों की तरफ से 

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई की मुझे थुलथुले आलू के साथ पकने के लिए रख दिया। तुम्हें इल्म नहीं है की खूबसूरत चीजों के साथ कैसे बर्ताव करते है।

मेरी शादी के बाद मुझमे एक बड़ा बदलाव हुआ। मैं जब भी किसी ‘सिंगल’ दोस्तों को देखता तो उसके लिए एक साथी ढूँढना शुरू कर देता था। हद तो शायद तब हो जाती थी जब अपने साथ बैठे दोस्तों को कहता ,” देखो तुम दोनों आपस में ही शादी कर लो । क्यों हर हफ्ते नए लड़के-लड़कियों से मिलते रहते हो। एक-दूसरे को जानते-पहचानते हो ,अच्छे दोस्त हो फिर शादी करने में क्या दिक्कत है। “ मेरी कोशिश दो-चार जगह कामयाब भी हुई और एक-दो जोड़ी ने आपस में शादी भी कर ली । अगर क्रिकेट की भाषा में कहूँ तो मेरी स्ट्राइक रेट अच्छी नहीं थी। मेरे दोस्तों ने मुझे ‘अलायन्स मेकर’ का नाम दे दिया। मेरा खौफ मेरे दोस्तों पर ऐसा चढ़ा की कई दोस्त भाई-बहन के रिश्ते में बंध गए !  मुझ पर आरौप लगाए जा रहे थे की मैं बेमेल जोड़ी बनाता हूँ । मैंने भी ठान लिया था की एक बेमेल जोड़ी का मेल करा कर सबका मूह बंद करूँगा । लेकिन मेरे आस-पास  तो मेरे डर से बने भाई-बहन थे या मेरे क्लब में नए नए शामिल शादीशुदा जोड़ी।

रविवार का दिन था मैंने खाना बनाने का सोचा। फ्रिज में सिर्फ आलू और भिंडी थी । मैंने आलू-भिंडी की सब्जी बनाने का फैसला लिया । मैंने भिंडी काटना शुरू किया । भिंडी किसी रानी की तरह मनमानी कर रही थी , कभी मेरे हाथो से फिसल जाती तो कभी मुझ से पूछती मेरे जैसे अच्छी दिखने वाली स्लिम फिगर वाली सब्जी पेट में नहीं आँखों के सामने रखने लायक है । एक निष्ठावान पति की भाति मैं भिंडी के झांसे में नहीं आया। अब बारी आलू की थी । गेहूआ रंग के आलू ने कोई भी नखरा नहीं दिखाया।

मैंने जैसे ही आलू को भिंडी के साथ कड़ाही में डाला वैसे ही भिंडी बिना आंच के ही उबलने लगी । वह गुस्से से इतनी लाल हो गई जैसे अभी अभी पक कर निकली हो । भिंडी ने तमतमाते हुआ कहा ,” तुम ने मेरे दरख्वास्त करने के बाद भी मुझे काट लिया लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा । लेकिन तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई की मुझे थुलथुले आलू के साथ पकने के लिए रख दिया। तुम्हें इल्म नहीं है की खूबसूरत चीजों के साथ कैसे बर्ताव करते है। मुझ जैसे हर किसी की चहेती को तुम ने मोटे और भद्दे दिखने वाले आलू के साथ जोड़ी बनाने की सोची भी कैसे ? मेरे स्वयंवर में मेरे माता-पिता आलू को न्योता भी ना भेजे । मैं जल जाना पसंद करुँगी लेकिन अपना मेल आलू का साथ नहीं होने दूंगी ।”

मैंने भिंडी की बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया और सोचा की मनमानी रानी हमेशा की तरह नखरे खा रही है । लेकिन जैसे ही सब्जी चखा मुझे एहसास हो गया की भिंडी ने मेरी आलू के साथ गठबंधन की कोशिश को पूरी तरह फैल कर दिया। उस दिन मुझे एहसास हो गया की ज़िंदगी के किसी बंधन को सही तरह से निभाने के लिए एक दूसरे के लिए सम्मान होना अति आवश्यक है। जहाँ तक दोस्तों को जोड़ी ढूँढने की बात है तो अब दोस्त मेरे पास आते है और उन्हें मैं सिर्फ आलू -भिंडी की कहानी सुनाता हूँ और निर्णय उन पर छोड़ देता हूँ ।

 

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