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अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी 2018 को होगी अगली सुनवाई,पढ़िए पक्षों की दलील और कोर्ट का जबाब

कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि कानूनी तरीके से राम मंदिर का निर्माण एनडीए के घोषणा पत्र का हिस्सा है इसलिए मामले की सुनवाई 2019 आमचुनाव के बाद हो।

Ayodhya Verdict: Supreme Court Defers Hearing in Babri Masjid Case to February 8 Breaking News आज की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश की बड़ी ख़बरें बड़ी ख़बरें समाचार 

कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि कानूनी तरीके से राम मंदिर का निर्माण एनडीए के घोषणा पत्र का हिस्सा है इसलिए मामले की सुनवाई 2019 आमचुनाव के बाद हो।

सुप्रीम कोर्ट ने आज राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई को शुरू होते ही इसे अगले साल आठ फरवरी तक के लिए टाल दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की तीन जजों वाली पीठ ने सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड और और अन्य मुस्लिम पक्षकारों के मांग को देखते हुए यह निर्णय लिया।

 

ये वकील रख रहे हैं पक्ष –

सुन्नी वक्फ बोर्ड : कपिल सिब्बल ,राजीव धवन और अनूप जॉर्ज चौधरी

रामलला :  हरीश साल्वे  ,सीएस वैद्यनाथन

यूपी सरकार – तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल

हिंदू महासभा- विष्णु शंकर जैन

निर्मोही अखाड़ा -एसके जैन

वकीलों की दलील और सुप्रीम कोर्ट का जबाब  :

  1. पहला मुद्दा : अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई  2019 तक टालने की अपील

   [सुन्नी वक्फ बोर्ड]: कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि कानूनी तरीके से राम मंदिर का निर्माण एनडीए के घोषणा पत्र का हिस्सा है इसलिए मामले की सुनवाई 2019                                                       आमचुनाव के बाद हो। कोर्ट के फैसले का देश में बड़ा असर पड़ेगा।

  [सुप्रीम कोर्ट]:      हमें इससे फर्क नहीं पड़ता कि कोर्ट से बाहर क्या चल रहा है।  इस साल जनवरी में सभी पक्ष मामले की जल्द से जल्द सुनवाई करने पर तैयार हो गए थे                                       और अब  कह रहे हैं कि इसे जुलाई 2019 तक के लिए टाल दिया जाए।

2. दूसरा  मुद्दा :19000 पेजों के दस्तावेज का उठाए गए सवाल

[सुन्नी वक्फ बोर्ड]: कपिल सिब्बल ने पूछा कि 19000 पन्नों का दस्तावेज इतने कम वक्त में कैसे फाइल किया जा सकता है? सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें और अन्य                                याचिकाकर्ताओं को याचिकाओं से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।

गौरतलब है कि हजारों पन्नों के अदालती दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर पांच दिसंबर से सुनवाई करने का निर्णय लिया था। अदालत ने सभी पक्षकारों को हिन्दी, पाली, उर्दू, अरबी, पारसी, संस्कृत आदि सात भाषाओं के अदालती दस्तावेजों का 12 हफ्ते में अंग्रेजी में अनुवाद करने का निर्देश दिया था।उत्तर प्रदेश सरकार को विभिन्न भाषाओं के मौखिक साक्ष्यों का अंग्रेजी में अनुवाद करने का जिम्मा सौंपा गया था।

[यूपी सरकार]: यूपी सरकार की ओर से पेश हो रहे तुषार मेहता ने ने इन दावों को गलत बताया. उन्होंने कहा, सभी संबंधित दस्तावेज और जरूरी अनुवादित कॉपियां जमा की जा                      चुकी हैं।

[सुप्रीम कोर्ट]:आप लोग आपस में बैठकर बात करें। ये निश्चित करें कि सभी डॉक्युमेंट्स भरे जाएं और उनका नंबर दर्ज हो। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद टाइटल डिस्प्यूट से जुड़ी                                 सभी अपीलों पर अगली सुनवाई 8 फरवरी 2018 को होगी।”

3. तीसरा मुद्दा :पांच या सात जजों की बेंच करे सुनवाई

[सुन्नी वक्फ बोर्ड]: कपिल सिब्बल ने मांग की है कि मामले की सुनवाई 5 या 7 जजों बेंच द्वारा की जाए ।

[रामलला]:रामलला का पक्ष रख रहे हरीश साल्वे ने कोर्ट में बड़ी बेंच बनाने का विरोध किया और कहा कि बेंच को कोर्ट के बाहर चल रही राजनीति पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

 

 

 

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