क्या ट्रेनों को अपग्रेड कर सुपरफास्ट करना रेलवे को कमाई का आसान जरिया दिखता है ?
जुलाई में पेश अपनी आखिरी रिपोर्ट में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सुपरफास्ट चार्ज पर रेलवे मंत्रालय को फटकार भी लगाई थी।
जुलाई में पेश अपनी आखिरी रिपोर्ट में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सुपरफास्ट चार्ज पर रेलवे मंत्रालय को फटकार भी लगाई थी।
रेल मंत्रालय ने 48 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को अपग्रेड कर सुपरफास्ट ट्रेन का दर्जा दे दिया है।अब इन ट्रेनों से यात्रा करने पर आपको स्लीपर के लिए 30 रुपये, सेकंड और थर्ड एसी के लिए 45 रुपये और फर्स्ट एसी के लिए 75 रुपये ज्यादा देने पड़ेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि रेलवे ने इन ट्रेनों की स्पीड महज 5 कि.मी/घंटा की दर से बढ़ाकर 50 से 55 कि.मी./घंटा की है।हालांकि स्पीड को बढ़ाने के अलावा ट्रेनों में किसी भी तरह की दूसरी सुविधा नहीं दी जा रही है।इसके साथ ही सुपरफास्ट में अपग्रेड हुई ट्रेनों की संख्या 1,072 हो गई है।इन 48 ट्रेनों के किराए में वृद्धि से रेलवे विभाग को 70 करोड़ रुपये अतिरिक्त आय होने का अनुमान है।
लेकिन सवाल यह उठता है की जब राजधानी,दुरंतो और शताब्दी जैसी प्रीमियम सुपरफास्ट ट्रेनें अपने गंतव्य पर सही समय पर नहीं पहुँचती है तो ट्रेनों को “सुपरफास्ट” श्रेणी में अपग्रेड करना कहाँ तक जायज है ? क्या रेलवे अपग्रेड की गई ट्रेनों के समय पर पहुंचने की गारंटी लेगी?क्या यह बेहतर नहीं होता की रेल मंत्री पियूष गोयल 48 ट्रेनों को सुपरफास्ट में तब्दील करने की जगह पहले से ही मौजूद सुपरफास्ट ट्रेनों को आने वाले सर्दी के मौसम में कोहरे के चलते लेट-लतीफी ना हो ऐसा कोई उपाय ढूँढ़ते ?
जुलाई में पेश अपनी आखिरी रिपोर्ट में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सुपरफास्ट चार्ज पर रेलवे मंत्रालय को फटकार भी लगाई थी। कैग ने कहा, ‘जांच के दौरान पाया गया कि 2013-14 से 2015-16 के बीच उत्तर-मध्य और दक्षिण मध्य रेलवे ने यात्रियों से 11.17 करोड़ रुपये सुपफास्ट चार्ज के नाम पर वसूले गए, जबकि 21 सुपरफास्ट ट्रेनें 55 किमी प्रति घंटा की तय रफ्तार से नहीं चलीं।’ कैग ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे से पूछा कि रेलवे बोर्ड ने सुपरफास्ट सेवाएं नहीं मिलने की स्थिति में यात्रियों को सुपरफास्ट चार्ज वापस करने का नियम क्यों नहीं बनाया है ?
मोदी सरकार को पता है की ट्रेनों के किराए में एक और बढ़ोतरी सरकार के सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है तो कमाई का ऐसा रास्ता ढूँढा गया जिससे साप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे।ट्रेनों को सुपरफास्ट में तब्दील करने पर विपक्ष भी सरकार की आलोचना कड़े शब्दों में नहीं कर सकती, वहीं भोलीभाली जनता इस आश में खुश हो जाएगी की किसी दिन शायद ट्रेन सुपरफास्ट की रफ़्तार से चल कर उन्हें जल्द अपने गंतव्य पर पंहुचा देगी।
इन प्रमुख ट्रेनों को किया गया है अपग्रेड:
पुणे-अमरावती एसी एक्सप्रेस
पाटलीपुत्र-चंडीगढ़ एक्सप्रेस
मुंबई-पटना एक्सप्रेस
विशाखापत्तनम-नांदेड़ एक्सप्रेस
कानपुर-उधमपुर एक्सप्रेस
दिल्ली-पठानकोट एक्सप्रेस
छपरा-मथुरा एक्सप्रेस
रॉक फोर्ट चेन्नै-तिरुचिलापल्ली एक्सप्रेस
बेंगलुरु-शिवमोगा एक्सप्रेस
टाटा-विशाखापत्तनम एक्सप्रेस
दरभंगा-जालंधर एक्सप्रेस
मुंबई-मथुरा एक्सप्रेस