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मोदी, नोटबंदी और मंदी पर जंग में जेटली और यशवंत सिन्हा की सीधी टक्कर

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोला। जो बातें कांग्रेस के नेता तक कहने से बच रहे थे वो बातें भाजपा के ही यशवंत सिन्हा ने कह दी वो भी तब जब उनके बेटे जयंत सिन्हा मोदी सरकार में मंत्री हैं।

यशवंत सिन्हा बनाम अरुण जेटली :पहला वार-पलटवार

यशवंत सिन्हा ने कहा, अब 2019 तक मंदी जारी रहेगी। आर्थिक मंदी गहराती जा रही है और अब ये तीन साल के सबसे निचले स्तर 5.7 फीसदी पर पहुंच गई है। जेटली ने इसका जवाब दिया और कहा, ग्रोथ रेट कई फैक्टर से जुड़ी है। ग्लोबल ट्रेड के साथ हम आगे बढ़े और पिछले तीन साल में हम पूरी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनोमी हैं।

यशवंत सिन्हा बनाम अरुण जेटली:दूसरा वार-पलटवार

सिन्हा का कहना है कि नोटबंदी की वजह से मंदी और ज्यादा आई। मंदी बढ़ाने वाली आग में नोटबंदी ने घी का काम किया। जेटली ने माना, नोटबंदी का कुछ असर पड़ा है। लेकिन ये सिर्फ शॉर्ट टर्म असर है, लंबे वक्त में इससे फायदा होगा। डायरेक्ट टैक्स 15.7% बढ़ा है क्योंकि ज्यादा लोगों ने इनकम टैक्स देना शुरू किया है।

यशवंत सिन्हा बनाम अरुण जेटली:तीसरा वार पलटवार

सिन्हा का दावा है कि विरासत में मिली बीमारी महामारी बनती जा रही है। बैंकों को मिले कर्ज नहीं लौटाए जा रहे हैं। बैकों के NPAs बढ़ते ही जा रहे हैं। जेटली ने इसका भी जवाब दिया और आंकड़ों के साथ बताया कि 1998 से 2002 तक जब यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे तब बैंकों को NPAs 14-15% था। उन्होंने सिन्हा को याद दिलाया कि चंद्रशेखर की सरकार में भी यशवंत सिन्हा ही वित्त मंत्री थे जब साल 1991 में भारत जबरदस्त वित्तिय संकट में फंसा था। विदेशी बैंकों से  लिए कर्ज की किश्त तक हम नहीं चुका पाए थे और 4 बिलियन डॉलर से भी कम फोरेन एक्सचेंज रिजर्व भारत के पास बचा था।

जेटली ने यशवंत सिन्हा का नाम नहीं लिया लेकिन तीखे तंज कसे। उन्होंने कहा, उनके पास अभी पूर्व वित्त मंत्री होने की लक्जरी नहीं हैं और ना ही उनके पास पूर्व वित्त मंत्री बनकर कॉलमनिस्ट बन जाने की लक्जरी है।

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