1965 जंग के हीरो ,पद्म विभूषण और वायुसेना के एकमात्र मार्शल अर्जन सिंह के जीवन से जुड़ी 20 खास बातें
भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार को 98 वर्ष की उम्र निधन हो गया।दिल का दौरा पड़ने के बाद बेहद गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।सिंह इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) को 2002 में एयरफोर्स का पहला और इकलौता मार्शल बनाया गया। एक नजर डालते है उनके असाधारण और प्रभावशाली हैसियत पर ।
-
- मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) में हुआ था।
- उनके पिता रिसालदार थे , वे एक डिवीजन कमांडर के एडीसी के रूप में सेवा प्रदान करते थे। उनके दादा रिसालदार मेजर हुकम सिंह 1883 और 1917 के बीच कैवलरी से संबंधित थे।
- 1938 में 19 वर्ष की उम्र में अर्जन सिंह पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चुने गए थे।
- 1944 में उन्हें स्क्वॉड्रन लीडर बनाया गया और उन्होंने अराकान कैंपेन के दौरान जापानियों के खिलाफ टीम को लीड किया। बर्मा, इम्फाल में सक्सेसफुल कैंपेन लीड करने की वजह से उन्हें 1944 में प्रतिष्ठित फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से सम्मानित किया गया। अर्जन सिंह के प्रयासों की बदौलत ही ब्रिटिश भारतीय सेना ने इंफाल पर कब्जा किया
- अर्जन सिंह फरवरी 1 9 45 में कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा जब उन्होंने केरल के एक घर के ऊपर बहुत नीची उड़ान भरी ,उन्होंने ये कहते हुए अपना बचाव किया की ये एक प्रशिक्षु पायलट (बाद में एयर चीफ मार्शल दिलबाग सिंह ) का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की।
- अर्जन सिंह ने 15 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक दिन को वायु सेना के 100 से भी अधिक विमानों के लाल किले के ऊपर से फ्लाइ-पास्ट का भी नेतृत्व किया था।
- आजादी के तुरंत बाद उन्हें गु्रप कैप्टन, अंबाला बनाया गया।
- चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद 1963 में उन्हें वायु सेना उप-प्रमुख बनाया गया था।
- अर्जन सिंह को 1 अगस्त 1964 को वायुसेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।वह पहले वायुसेना प्रमुख थे जिन्हें पायलट रहते हुए सीएएस (चीफ ऑफ एयर स्टाफ) नियुक्त किया गया था।उस समय उनकी उम्र थी महज़ 44 साल थी।
- 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में उन्होंने भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था।इस लड़ाई में एयरफोर्स ने पहली बार जंग में हिस्सा लिया था।पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया जिसमें उसने जम्मू कश्मीर के महत्वपूर्ण शहर अखनूर को निशाना बनाया।उनके नेतृत्व में ही एयरफोर्स ने एक घंटे के भीतर ही पाकिस्तानी फौज पर हमला बोला था।एक सितंबर 1965 की शाम तत्कालीन रक्षा मंत्री वाईबी चव्हाण ने उस समय चीफ ऑफ एयर स्टाफ रहे अर्जन सिंह से पूछा कि कितनी देर में वायुसेना के फाइटर जेट उड़ान भर सकते हैं।अगले ही पल अर्जन सिंह बोल पड़े ‘एक घंटे में’! उस समय तक पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के चंबा और अखनूर सेक्टर में तबाही मचा रखी थी।उनके वादे के मुताबिक एक घंटे के अंदर भारतीय लड़ाकू विमानो ने उड़ान भरी और पाकिस्तान के कैंपों को ध्वस्त कर दिया।
- 1965 में अपने बेजोड़ नेतृत्व के लिए अर्जन सिंह को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया।
- सिंह 1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ रहे।अर्जन सिंह ही केवल ऐसे चीफ ऑफ एयर स्टॉफ थे जिन्होंने एयरफोर्स प्रमुख के तौर पर लगातार पांच साल अपनी सेवाएं दीं।
- 1969 में 50 वर्ष की उम्र में उन्होंने रिटारमेंट ले लिया।
- 1971 में उन्हें स्विट्जरलैंड में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था।इसके अलावा उन्होंने वेटिकन और केन्या में भी देश के लिए अपनी सेवाएं दी थी।
- अर्जन सिंह को उनके असाधारण योगदान के लिए 2002 में एयर फोर्स का मार्शल बनाया गया।वे एयरफोर्स का पहले और इकलौते मार्शल है।इसके साथ वे एयरफोर्स के पहले फाइव स्टार रैंक अधिकारी बने।देश में पांच स्टार वाले तीन सैन्य अधिकारी है – फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ , फील्ड मार्शल के एम करियप्पा और अर्जन सिंह ।ये तीनों ही ऐसे सेनानी रहे, जो कभी सेना से रिटायर नहीं हुए।मार्शल ऐसा रैंक है, जो आजीवन के लिए होता है।वे कभी भी रिटायर नहीं होते।मृत्यु होने तक व्यक्ति इसी पद पर बना रहता है। इस पद पर पहुंचे लोग पेंशन नहीं लेते क्योंकि जीवित रहने तक उन्हें पूरी सैलरी दी जाती है। अन्य आर्मी अफसरों की तरह, फील्ड मार्शल को किसी भी ऑफिशियल समारोह पर पूरी यूनिफॉर्म में आना होता है।
- सिंह ने दिल्ली के पास अपने फार्म को बेचकर 2 करोड़ रुपए ट्रस्ट को दे दिए. ये ट्रस्ट सेवानिवृत्त एयरफोर्स कर्मियों के कल्याण के लिए बनाया गया था. सिंह दिसंबर 1989 से दिसंबर 1990 तक दिल्ली के उपराज्यपाल भी रहे।
- 27 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के निधन के बाद अंतिम दर्शन के लिए राष्ट्रपति और पीएम समेत कई नेता पहुंचे थे।अर्जन सिंह व्हीलचेयर पर उन्हें दर्शन करने पहुंचे थे।कलाम को देखते ही खुद चलकर पास आए और तनकर सलामी भी दी थी।उनकी उम्र उस समय 96 थी।
- 15 अप्रैल 2016 को मार्शल के 97 वें जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए, तत्कालीन चीफ ऑफ एअर स्टाफ एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने घोषणा की थी कि पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में भारतीय वायु सेना का नाम अर्जन सिंह के नाम पर होगा।यह पहली बार था जब एक जीवित ऑफिसर के नाम पर सैन्य प्रतिष्ठान का नाम रखा गया।
- अर्जन सिंह का एक बेटा और एक बेटी है।उनकी पत्नी 2011 में ही गुजर गयी थीं।
- पीएम नरेंद्र मोदी ने अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट कर एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा की ,’कुछ दिनों पहले ही मैं उनसे मिला था। खराब सेहत के बाद भी वह सल्यूट के लिए उठे, हालांकि मैंने उन्हें मना भी किया। एक सैनिक के तौर पर इस प्रकार का उनका अनुशासन था।’
Sometime back I met him, who despite his ill health tried to get up to salute even though I said no. Such was his soldier discipline.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 16, 2017