चोटी काटने वाला कहीं और नहीं, आपके टीवी में ही बैठा है
एक सातवीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने दावा किया कि सोते वक्त किसी ने उसकी चोटी काट दी। बाद में पता चला बच्ची झूठ बोल रही थी।
एक सातवीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने दावा किया कि सोते वक्त किसी ने उसकी चोटी काट दी। बाद में पता चला बच्ची झूठ बोल रही थी।
‘चोटी के पीछे क्या है’…’चोटी के आगे खौफ है’…’चोटीचोर पकड़ा जाएगा’..’चोटीकटवा LIVE’…ऐसे डायलॉग आजकल टीवी चैनल पर खूब चल रहे हैं । खबरिया चैनल्स में चोटी कहानी गढ़ने की नई किरदार बन गई है। चोटी को रेटिंग का हथियार मान लिया गया है। लेकिन चोटी किसने काटी? कहां काटी गई? किसने चोटी काटने वाले को देखा? इन सवालों का जवाब देने के बजाय सिर्फ अफवाहें फैलाई जा रही है। अफवाह भी ऐसे ऐसे वैसे नहीं, रात में गलियों में रिपोर्टर घूमते हैं। खुद चोटीकटवा को ढूंढते हैं। शहर-शहर में चोटी कटवा का कहर ऐसी हेडलाइन लगाई जाती है। लेकिन हकीकत है कि चोटीकटवा कोई नहीं है। चोटीकटवा केवल अखबार और टीवी चैनल्स पर ही दिख रहा है।
हाथरस में ‘चोटीकटवा’ कौन?
हाथरस से खबर आई की एक बाबा चोटी काटते पकड़ा गया। गांव वालों ने दावा किया कि ये बाबा चोटीकटवा है। एक महिला ने कहा कि “बाबा बोला पानी लेकर आओ। मैं पानी लेकर आई और बाबा को दिया उसने पी लिया फिर बोला आटा लेकर आओ मैं आटा लेकर आई…मैंने आटा दिया और बाबा लेकर चला गया…जब मैंने अपने बाल खोले तो देखा चोटी कट गई है।मैं बेटी से पूछा तो उसने बताया हां बाल कट गए है”।
लेकिन पुलिस को महिला के आरोप में दम नहीं नजर आया। पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि बाबा तो सिर्फ बहाना था। महिला ने खुद ही अपनी चोटी काट ली थी।
अलीगढ़ में ‘चोटीकटवा’ कौन?
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से भी हैरान करने वाली खबरें आई। एक महिला को लोगों ने पकड़कर खंबे से बांध दिया। उसे ही चोटीकटवा बताने लगे। अलीगढ़ के अलग अलग इलाके में 20 जगह चोटियां कट चुकी थी। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला महिला बेगुनाह है और चोटी काटने की बातें अफवाह। अब पुलिस कटी हुई चोटियों की जांच करवा रही है।
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कैथवां गाव खौफ में डूबा था। एक सातवीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने दावा किया कि सोते वक्त किसी ने उसकी चोटी काट दी। बाद में पता चला बच्ची झूठ बोल रही थी। उसने खुद अपनी चोटी काटी थी। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भी ऐसा ही हुआ। पहले चोटी काटने की अफवाह फैली। फिर चोटीकटवा बताकर लोगों को पीटा गया। बाद में पता चला कि सारी बातें कोरी अफवाह थी।
चोटी काटने की खबरें सबसे पहले राजस्थान से शुरू हुई। राजस्थान के दस गावों में अचानक अफवाह उड़ी की कोई रात में महिलाओं की चोटी काटकर ले जाता है। सबसे पहले राजस्थान की पुलिस ने इसे अफवाह बताया। वहां के अखबारों में इस अफवाह से सावधान रहने की खबरें छापी गई। लेकिन इसके बाद ये अफवाह आग की तरह हरियाणा में फैल गई। हरियाणा में पुलिस संभल पाती और लोगों को समझा पाती कि ये अफवाह उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक पहुंची।
हकीकत तो ये है कि जयपुर में एक महिला ने खुद ही अपनी चोटी काटी, सबूत के तौर पर चोटी काटते हुए उसका वीडियो भी मिल गया। लेकिन लोगों ने वीडियो पर नहीं महिला की मनगढ़ंत कहानी पर भरोसा करना शुरू कर दिया। दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक ही दिन में चोटी कटने की तीन घटनाएं सुनने को मिली। पहले महिलाओं ने कहा, तेज आवाज हुई और उनकी चोटी कट गई। इसके बाद एक कहानी सुनाई गई। ये कहानी इस तरह थी ।
“रात को बिल्ली ने काटी चोटी
कोई औरत आई और बाल काटे
बाबा दिखा और कट गए बाल
बाल कटने के पीछे कोई आत्मा
बिजली दिखी और बाल कट गए
नींद आई तो चोटी कट गई
बंदर दिखा कट गई चोटी
अदृश्य शक्ति काट रही बाल”
दरअसल चोटीकटवा और चोटीचोर जैसे शब्द अब मीडिया में घूमने लगे हैं। टीवी चैनल से लेकर अखबार तक में इन शब्दों को खूब उछाला जा रहा है। लेकिन हकीकत ये है कि चोटीकटवा अभी तक नहीं मिला है ना कभी मिलेगा।