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एक ‘फतवे’ की खबर हिंदू और मुसलमान दोनों को क्यों हिलाती है?

अगर एक मुस्लिम का मंदिर जाना और एक हिन्दू का दरगाह जाना गलत होता तो शायद मेरे मंदिर और दरगाह जाने पे भगवान गणेश और खुदा आपस में लड़ बैठते और ऑफर लेटर आना तो दूर मेरी उस समय की नौकरी भी चली गयी होती ।

Bihar Minister raises slogan shree ram , fatwa issued पाठकों की तरफ से बड़ी ख़बरें 

अगर एक मुस्लिम का मंदिर जाना और एक हिन्दू का दरगाह जाना गलत होता तो शायद मेरे मंदिर और दरगाह जाने पे भगवान गणेश और खुदा आपस में लड़ बैठते और ऑफर लेटर आना तो दूर मेरी उस समय की नौकरी भी चली गयी होती ।

संडे की सुबह की बात ही कुछ और होती है । आप निश्चिंत हो कर उठते है और आपको हर रोज की तरह कोई भी हड़बड़ी नहीं होती अपने काम पर जाने की । सुबह से 11 बज गए थे , उठने का बिल्कुल मन नहीं कर रहा था लेकिन अगर सोने में ही संडे को बर्बाद कर दिया तो घर का काम और गंदे हुए कपडे कौन धोएगा, ये बात सोचते ही मैे बिस्तर से उछलकर बाहर आ गया। सोचा थोड़ी देर टीवी देख लेता हूँ , न्यूज़ चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ आ रहा था – “नीतीश के मुस्लिम मंत्री के खिलाफ फतवा “ । एक बिहारी होने के कारण मेरी रूचि बिहार के राजनीति में स्वाभाविक है । एक कहावत भी है बिहारी के पास खाने की कमी जरूर रहे लेकिन राजनीति के ज्ञान की कमी नहीं रहती । मेैं कल तक नीतीश के बीजेपी के साथ जाने का समर्थक था क्योंकी अब मुझे लोगों को यह जवाब तो नहीं देना पड़ेगा की एक नौंवीं फ़ेल मेरे राज्य का उपमुख्यमंत्री कैसे बन गया ?


नीतीश कैबिनेट के मंत्री के खिलाफ फतवा मेरे निर्णय पे सवालिया निशान उठा रहा था । में सोच ही रहा था की मंत्री बने हुए अभी 24 घंटे भी नहीं हुए और मंत्री महोदय ने क्या जगण्य अपराध कर दिया की उनके उपर फतवा जारी कर दिया गया ।


“ ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने पर नीतीश के मंत्री के खिलाफ फतवा जारी “ इस हेडलाइन ने मेरी नींद उड़ा दी । मुझे यकीन नहीं हो रहा था , मैंने दूसरा न्यूज़ चैनल लगाया – “बिहार सरकार के मुस्लिम मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद पर फतवा जारी, खुर्शीद इस्लाम से बेदखल । फतवे के आधार पर उनका निकाह भी टूट गया है, फतवे के अनुसार उन्हें अपने इस काम के लिए तौबा करके फिर से निकाह करना होगा “ । मंत्री महोदय  पर आरोप  लगा की  उन्होंने अपने हाथ में रक्षासूत्र बांधा हुआ है और उन्होंने मनोकामना मंदिर में जा कर पूजा की थी ।


मेरी नजर मेरी गले से लटकी ताबीज पर गयी । अगर एक मुस्लिम का रक्षासूत्र बांधना गलत है तो क्या मैं ने ताबीज पहन कर कोई गलती तो नहीं की है । मैं ने अपनी ताबीज को गले से उतारने का निर्णय लिया , इस डर से की कहीं किसी धर्मगुरु ने मुझे ताबीज पहने देखा तो मेरे उपर भी कोई ‘धर्म उलघंन’ का नोटिस ना भेज दे ।मुझे सांस मे सांस आई ।

फिरोज अहमद ने अगर मनोकामना मंदिर जा कर गलती की तो ऐसी गलती तो मैं ने बहुत बार की है । 2014 फरवरी की बात है , मुझे मेरी ऑफिस के तरफ से भारतीय रिजर्व बैंक के दफ्तर में काम करने भेजा गया था । मैं ने एक कंपनी में इंटरव्यू दिया था और ऑफर लैटर का इंतज़ार कर रहा था । प्रस्ताव पत्र आने में देरी हो रही थी , मैं ने भी सब लोगों  की तरह भगवान /अल्लाह के सामने मत्थे टेकने का सोचा । मैं सिद्धिविनायक मंदिर और हाजी अली दरगाह दोनों गया , शाम को मुझे ऑफर लेटर मिल गया ।  मैं ने भगवान गणेश औए खुदा दोनों को धन्यवाद कहा । अगर एक मुस्लिम का मंदिर जाना और एक हिन्दू का दरगाह जाना गलत होता तो शायद मेरे मंदिर और दरगाह जाने पे भगवान गणेश और खुदा आपस में लड़ बैठते और ऑफर लेटर आना तो दूर मेरी  उस समय की नौकरी भी चली गयी होती ।

मेरी दिल  मुझ से  सवाल कर रहा है  , आप से दरखास्त है कभी समय मिले तो सोचिएगा  जरूर ।

अजीब होता जा रहा है मुल्क हमारा ,

कलम थामने के उम्र में , पत्थर फेकने में व्यस्त देश हमारा,

क्यों नहीं मिल के कहते हिंदुस्तान है हमें जान से प्यारा,

एक 16 साल की गायिका के गाने पे फतवा,

एक जन प्रतिनिधी के जन भावनाओं के सम्मान पे फतवा ,

सयानी सानिया को खेल को नियम से खेलने पे फतवा ,

                               अजीब होता जा रहा है मुल्क हमारा,

कलम थामने के उम्र में , पत्थर फेकने में व्यस्त देश हमारा ,

क्यों नहीं मिल के कहते हिंदुस्तान है हमें जान से प्यारा 

चंद लोगों के भरकाने पे दंगे

क्यों परवाह नहीं करते सड़क पे खेलने के उम्र बच्चे है नंगे ,

समाचार में आते लूट ,हत्या और बलात्कार के खबरें,

क्यों नहीं सच्चाई का पाठ पढाए अपने बच्चो  को हर  तड़के,

अजीब होता जा रहा है मुल्क हमारा,

कलम थामने के उम्र में , पत्थर फेकने में व्यस्त देश हमारा ,

क्यों नहीं मिल के कहते हिंदुस्तान है हमें जान से प्यारा 

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