रूस के मंच से मोदी ने अमेरिका को जवाब दिया
प्रधानमंत्री मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शहर सेंट पीटर्सबर्ग में थे। पुतिन ने वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के तर्ज पर सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल फोरम का आयोजन किया था। प्रधानमंत्री मोदी इस समारोह के मुख्य अतिथी थे। अमेरिका के एनबीसी नेटवर्क की रिपोर्टर मेगन केली सवाल जवाब के सेशन को होस्ट कर रहीं थीं। मेगन केली का सबसे पसंदीदा टॉपिक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं। मोदी के इस समारोह में पहुंचने से पहले ही ट्रंप ने पेरिस क्लाइमेट समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया और दावा किया की ये समझौता भारत और चीन के पक्ष में है। पुतिन और मोदी एक साथ मंच पर थे, तभी मेगन केली ने मोदी से ट्रंप के फैसले पर सवाल पूछा। पहले मोदी ने ट्रंप के बारे में सीधे कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा पांच हजार साल पुरानी है। ये परंपरा प्रकृति के रक्षा की पाठ पढ़ाती है। लेकिन इसके बाद रिपोर्टर का सीधा सवाल था कि वो ट्रंप के साथ या ट्रंप की बातों का विरोध करते हैं। अब प्रधानमंत्री को सीधा जवाब देना था, मोदी ने कहा, वो ना ट्रंप के साथ हैं, ना खिलाफ हैं। वो आने वाली पीढ़ी के साथ हैं। हमें आने वाली पीढ़ी को एक ऐसी पृथ्वी सौंपनी होगी जिसमें वो खुशी से रह सकें।
इसके बाद व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अभी 2020 तक फैसला करना है। काफी वक्त बचा है, तब तक रास्ता निकल जाएगा। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने वो फैसला किया है जिसकी अटकलें तो थी लेकिन अमेरिका जैसे विकसित देश से इस फैसले की उम्मीद नहीं थी। ट्रंप ने अचानक ऐलान किया की वो पेरिस समझौते से अलग हो रहे हैं और पर्यावरण को बचाने के लिए एक नया समझौता करेंगे। ट्रंप की दलील है कि इस मौजूदा समझौते से अमेरिका में फैक्ट्रियां बंद हो जाएंगी। लोग बेरोजगार हो जाएंगे। ट्रंप ने यहां तक कह दिया की इस समझौते में भारत और चीन जैसे देशों को फायदा होगा और अमेरिका के पैसे ज्यादा खर्च होंगे। अमेरिका के ही तीन राज्यों ने ट्रंप के इस फैसले का विरोध कर दिया है। भारत के प्रधानमंत्री के लिए मुश्किल बड़ी है। अगले कुछ दिनों में मोदी और ट्रंप की मुलाकात होने वाली है। इससे पहले ट्रंप के बयान ने माहौल को खराब कर दिया है। अब जब भी ट्रंप और मोदी मिलेंगे भारत अमेरिका रिश्ते से ज्यादा पर्यावरऩण की बातें होंगी। मोदी ट्रंप के खिलाफ नहीं जा सकते और पर्यावरण को बचाने के भारत के वादे से भी मुंह नहीं मोड़ सकते। इसलिए अमेरिका की मीडिया जब भी मोदी से मिलेगी, अब सिर्फ ट्रंप पर सवाल पूछेगी।