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मेरी महेंद्र ‘बाहुबली’ धोनी से मुलाकात जब वह सिर्फ महेंद्र था ।

जो गली क्रिकेट नही खेल सकता वह क्या इंडिया के लिए खेलेगा !!धोनी दुनिया के लिए कैप्टेन कूल तो बाद में बना , मेरे लिए तो वह उसी दिन एक कूल इंसान बन गया था ।

My meeting with Captain Cool Dhoni पाठकों की तरफ से 

जो गली क्रिकेट नही खेल सकता वह क्या इंडिया के लिए खेलेगा !!धोनी दुनिया के लिए कैप्टेन कूल तो बाद में बना , मेरे लिए तो वह उसी दिन एक कूल इंसान बन गया था ।

साल 2004 की बात है। बोर्ड के रिजल्ट्स आ चुके थे और ग्यारहवीं क्लास की किताबों ने मुझे इतना परेशान किया की पढाई करना और ना करना सब बराबर था । दिन रात TV देखने और क्रिकेट खेलने में बीत रहा था । सपना तो इंडियन क्रिकेट टीम के लिए खेलने का था लेकिन मेरी करनी ऐसी नहीं थी । इंडियन टीम में किसी बिहारी का ना होना दिल को हतोत्साहित करने के लिए काफी था । सबा करीम हमारे प्रेरणा थे और जब भी मौका मिलता था तो हम  इस बात को कहना नहीं भूलते थे की अगर सबा की आँख में चोट नही लगती तो वह इंडियन क्रिकेट इंडियन टीम के बेस्ट विकेट कीपर होते।

मैं उस  समय एजी कॉलोनी ,डोरंडा, राँची  में रहता था । राँची, वही शहर जिसने इंडियन टीम को बेस्ट कैप्टेन दिया । कॉलोनी के लोगों ने मिल कर रात में क्रिकेट टूर्नामेंट स्टार्ट करवाया । मैंने भी कोशिश की किसी टीम में अपनी जगह बनाई जाए, लेकिन मेरी उम्र बीच में आ जाती थी । एक दो टीम में बैटिंग मिली लेकिन मैं कोई तेंदुलकर तो था नही की 1 ओवर मिले और मौके पे चौका लगा दूं ।

टूर्नामेंट स्टार्ट हुआ और मेरा रोज़ डांट खाने का सिलसिला भी । शाम को 6 से 11 के बीच अगर आपको मुझसे मिलना हो तो डायरेक्ट फील्ड में आइए । एक शाम अचानक हंगामा मचा , पूरे मैदान में आज खचाखच भीड़ थीं। पता चला धोनी आने वाला है !! धोनी आने वाला है !! यही आवाज़ गूंज रही थी । मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की वह बंदा जिस नें एक हफ्ते पहले केन्या में अपने बैटिंग से अनहोनी को होनी किया है वह हमारे लोकल टूर्नामेंट में खेलने आ रहा है । मीडिया में धोनी के इंडियन टीम में खेलने की बात चल रही थी, उसे सामने से देखने को मिलेगा । धोनी आया और भीड़ में गायब हो गया । बड़ी मशकत के बाद उसे फील्ड में लाया गया । मैच स्टार्ट हुआ । धोनी के क्रीज पर आते ही बैटिंग खिलाड़ी बाउंड्री पर खड़े हो गए और धोनी धोनी की आवाज़ मैदान मे  गूंजने लगी। पहली गेंद , सीधे हवा में और धोनी आउट । अच्छा शॉट था, किस्मत ने साथ नही दिया , अगले मैच में मारेगा, लोग ऐसा कहते हुए जाने लगे । मैच अभी खत्म नही हुआ था पर मैदान से भीड़ खत्म हो गयी थी ।

दूसरा मैच: इस बार भी लोग मैदान में आये थे लेकिन धोनी को मैदान में एंट्री करने में कोई दिक्कत नहीं हुई । धोनी ने एक चौका लगाया । धोनी धोनी के नाम से पूरी कॉलोनी गूँज उठी ।  धोनी इसी स्कोर पे अगले कुछ बॉल खेलने के बाद आउट हो गया ।

तीसरा मैच: धोनी बैटिंग करने आए और शुरुआत में एक-दो बाउंड्री लगाई और फिर से आउट । जिस तरह से लोग धोनी को भूल रहे थे, मैं भी उनके बनाए रनों को भूल गया।

चौथा मैच: धोनी जीरो पर आउट । लोगों ने कोई भी रिएक्शन नही दिया शायद उन्हें अब इसकी आदत हो गयी होगी। धोनी चुपचाप जा कर ज़मीन पर बैठ गए । पहले दिन लोग धोनी को देखना चाहते थे, लेकिन उसे अकेले पा कर भी उसके आस पास नही जा रहे थे ।

मुझे अचानक याद आया की मैने स्लैम बुक धोनी के ऑटोग्राफ के लिए रखी थी । वह मेरी मासूमियत ही थी मैं उनके पास ऑटोग्राफ के लिए चला गया । धोनी चुपचाप मैदान मे अकेले बैठे हुए थे । मैं थोड़ा डरता हुआ धोनी के  पास गया और ऑटोग्राफ देने को कहा । तभी एक अंकल वहां आए और बोले – जो गली क्रिकेट नही खेल सकता वह क्या इंडिया के लिए खेलेगा “ । धोनी ने उनके तरफ देखा । धोनी के चेहरे पे कोई भी सिकन नहीं थी । धोनी ने मुझे ऑटोग्राफ दिया और मेरे स्कूल , सब्जेक्ट आदि के बारे में पूछा । मैच खत्म हुआ और धोनी निकल गया । धोनी दुनिया के लिए कैप्टेन कूल तो बाद में बना , मेरे लिए तो वह उसी दिन एक कूल इंसान बन गया था ।

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