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जब अखिलेश सीएम थे, तब लैपटॉप बंटे कम, गायब ज्यादा हुए

उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने लैपटॉप के नाम पर वोट मांगा था। अब यही लैपटॉप अखिलेश यादव पर दाग लगा सकता है।

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उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने लैपटॉप के नाम पर वोट मांगा था। अब यही लैपटॉप अखिलेश यादव पर दाग लगा सकता है।

अखिलेश यादव की सरकार में लैपटॉप बांटने में ऐसी चोरी हुई जो अब पकड़ी गई है। इस गड़बड़ी की जांच योगी आदित्यनाथ की सरकार करवा रही है। योगी आदित्यनाथ की सरकार शपथ लेने वाली थी, अखिलेश यादव चुनाव हार चुके थे। योगी की शपथ से तीन दिन पहले 16 मार्च को 97 करोड़ के रकम का भुगतान किया गया। पिछले साल बंटे लैपटॉप के नाम पर ये रकम एक साथ सरकारी खज़ाने से रिलीज़ कर दी गई। अब योगी सरकार ने इसकी जांच शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट लैपटॉप का बंटवारा था। शहर-शहर छात्रों और छात्राओं को लैपटॉप बांटे गए। लेकिन अब जांच में पता चला है कि लैपटॉप बांटने के नाम पर एक बड़ी धांधली भी हुई। जितने लैपटॉप बांटे गए उससे ज्यादा लैपटॉप के पैसे सरकारी खज़ाने से निकाले गए। अखिलेश सरकार के वक्त एक लैपटॉप की कीमत 13, 490 रुपए रखी गई थी। लैपटॉप खरीदने के लिए यूपी इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन को चुना गया और लैपटॉप बांटने का ठेका एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। लेकिन लैपटॉप खरीदने और बांटने के बीच बड़ा अंतर दिख रहा है। कुछ सरकारी आंकड़े इस घोटाले की पोल खोल देते हैं। साल 2012-13 में करीब 9000 लैपटॉप खरीदे गए। साल 2013-14 में कुल करीब 14 लाख 70 हजार लैपटॉप खरीदे गए। साल 2014-15 में एक भी लैपटॉप नही खरीदा गया। इन आंकड़ों को जोड़ दें तो कुल 14 लाख 79 हज़ार लैपटॉप खरीदे जा चुके थे। लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार से मिले आंकड़े बताते हैं   कि 14 लाख 79 हजार में से सिर्फ 6 लाख 10 हज़ार लैपटॉप ही बांटे गए। बाकी बचे 8 लाख 69 हज़ार लैपटॉप गायब हो गए। जांच करने के बाद भी आजतक इन गायब लैपटॉप का पता सरकार को नहीं है। ये गड़बड़ी हर जिले में हुई है। अखिलेश यादव के अपने जिले इटावा में 13 हजार 400 लैपटॉप बांटने की बात सरकारी फाइल में लिखी है। लेकिन 10 हजार 645 लैपटॉप ही छात्रों को बांटे गए। मतलब इटावा में भी 3 हजार से ज्यादा लैपटॉप कहां गए इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। मुलायम आज़मगढ़ से सांसद हैं। आज़मगढ़ में भी 43 हजार लैपटॉप बांटने के लिए पैसे सरकारी खज़ाने से निकाले गए, लेकिन आज़मगढ़ में बंटे सिर्फ 10 हजार 99 लैपटॉप। यानि करीब 33 हजार लैपटॉप गायब हो गए। बनारस में भी लैपटॉप बांटने के नाम पर घोटाला हुआ। बनारस में भी करीब 28 हजार लैपटॉप बांटने के लिए पैसा मिला। लेकिन छात्र छात्राओं के हाथ सिर्फ 15 हजार लैपटॉप ही आए। आगरा में भी लैपटॉप के बंटवारे में खेल हुआ। यहां 38615 लैपटॉप बांटने की बात सरकारी फाइल में लिखी गई। लेकिन बच्चों में बांटे गए सिर्फ 16 हजार 700 लैपटॉप। राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में भी 13 हजार लैपटॉप बांटने की बात हुई, पैसे निकाले गए। लेकिन केवल 3820 छात्त छात्राओं को ही लैपटॉप मिले।  उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने लैपटॉप के नाम पर वोट मांगा था। अब यही लैपटॉप अखिलेश यादव पर दाग लगा सकता है। योगी सरकार अखिलेश राज में लैपटॉप का पूरा हिसाब-किताब लगा रही है। शुरुआती जांच में घोटाला साफ दिख रहा है। अगर घोटाला हुआ है तो फिर इस बात की भी जांच होगी की आखिर चुनाव हारने के बाद भी अखिलेश सरकार ने सरकारी खजाने से पैसे कैसे निकाले। जब तीन बाद ही योगी आदित्यनाथ का शपथ होने वाला था तो ऐसी क्या जल्दी थी कि लैपटॉप के लिए करोड़ों रुपए सरकारी खजाने से निकाले गए।

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