कश्मीर में इस ऑपरेशन का कामयाब होना देश के लिए जरूरी है
अब आर्मी ने कड़ा और बड़ा फैसला किया है। इस बार आर्मी और सीआरपीएफ आतंकवादियों के अड्डे में घुसकर उनका मुकाबला करेगी।
अब आर्मी ने कड़ा और बड़ा फैसला किया है। इस बार आर्मी और सीआरपीएफ आतंकवादियों के अड्डे में घुसकर उनका मुकाबला करेगी।
कश्मीर में पिछले 27 साल में जो नहीं हुआ वो अब शुरू हो चुका है। 1990 के बाद पहली बार आर्मी ने कश्मीर के जंगल में ऑपरेशन चलाया। 20 गांव में छिपे आतंकवादियों की पहचान हो चुकी है अब उनके अड्डे तक आर्मी पहुंच रही है। रात दो बजे से ही ऑपरेशन शुरू हो चुका था और सुबह चार बजे आर्मी की पांच बटालियन के जवान शोपियां की जंगल में फैल गए थे। आर्मी के साथ सीआरपीएफ की बारह बटालियन चल रही है। जम्मू-कस्मीर पुलिस इस बार पूरा साथ दे रही है। पिछले कुछ हफ्ते में कश्मीर में जो हुआ वो बेहद खरतनाक था। दक्षिण कश्मीर के ग्रामीण इलाके में आतंकवादियों का दबदबा बढ़ता जा रहा था। गांववाले आतंकवादी से डरे हुए थे। कश्मीर के बच्चों के मोबाइल में आतंकवादियों के वीडियो दिख रहे थे। सोशल मीडिया पर कश्मीर के जंगल में क्रिकेट खेलते और ट्रेनिंग करते आतंकवादी के वीडियो वायरल हो रहे थे। अब आर्मी ने कड़ा और बड़ा फैसला किया है। इस बार आर्मी और सीआरपीएफ आतंकवादियों के अड्डे में घुसकर उनका मुकाबला करेगी। सरकार ने भी फौज को खुली छूट दी है और जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए खुद आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत कश्मीर गए थे। नब्बे के दशक में इसी रणनीति के तहत कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं पर ब्रेक लगा था। आर्मी के कुछ अफशर कश्मीर के आज के हालात की तुलना उसी वक्त से करते हैं। इसलिए आर्मी ने उसी तरह के फैसले किए हैं जो 27 साल पहले हुए थे। जो आतंकवादी की मदद करेगा वो पकड़ा जाएगा। आतंकवादी जहां मिलेंगे, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। अब इंतज़ार नहीं होगा कि आतंकवादी हमला करें। उल्टे जैसे ही आतंकवादी की खबर मिलेगी उसे पकड़ने की कोशिश की जाएगी। सरकार ने पहले नरम होकर बात की, अब गरम होने का वक्त है।