गुरमेहर की गूम हुई डायरी के पन्नो से

गुमशुदा डायरी के पन्नो से 

आज जब डायरी लिखने के लिए पेन उठाया तो पता नहीं क्यों मेरे हाथ चल ही नही पा रहे है । एक एक शब्द मुझे प्लेस कार्ड पे लिखे शब्द की याद दिला रहे है ।    डायरी लिखना छोड कर यूट्यूब पे अपना विडियो देखने लगी । मेरी नजर नंबर ऑफ़ व्यूज पे गयी और में …… अचानक मुझे मेरी फ़ोन की घंठी सुनाई दी । मुझे पता था की फ़ोन किसका होगा परन्तु समझ नहीं पायी की मीडिया वालो को मेरा नया नंबर मिला तो कैसे ? इस देश में सीबीआई से ज्यादा कोई तेज है और कोर्ट से ज्यादा कोई सही फैसले देने वाला है तो वो है हमारी डेमोक्रेसी की चौथी पिलर- “मीडिया” ।

मेने विडियो देखना शुरू किया और पता ही नही चला की विडियो कब खत्म हो गया । में सोच ही रही थी की मेरी विडियो में गलत क्या है उसी समय न्यूज़ चैनल पे मेने खुद को एक प्लेस कार्ड के साथ देखा । मेने विडियो फिर से प्ले किया यह सोच कर की यह प्लेस कार्ड में ने कब उठाया था । दसवी स्लाइड आते आते मुझे नींद आ रही थी परन्तु में अपनी गलती को पूरे होशो-हबाश में महसूश करना चाहती थी । तेरहवीं स्लाइड में वो ट्रेंडिंग पिक्चर मुझे मिल गया। में ने आगे विडियो देखना जारी रखा यह सोच कर की कही यह मेरे हिट पिक्चर का सिर्फ ट्रेलर तो नहीं था लेकिन मेरी ट्रेंडिंग क्लिप की ट्रेलर , क्लाइमेक्स और एंड भी यही था ।

गुरमेहर कौर

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